बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- सृजनात्मकता से आप क्या समझते हैं? अपने शिक्षण को अधिक सृजनशील बनाने हेतु आप क्या करेंगे? विवेचना कीजिए।
उत्तर -
सृजनात्मकता, मानवीय विकास श्रृंखला में नवीन एवं सतत् अन्वेषण है। यह निर्माण है। नवीनता इसकी विशेषता है। सृजनात्मकता विधा है, विकास है। सृजनात्मकता उत्पादकता की प्रतीक है, बौद्धिक एवं चिन्तन क्षमताओं का प्रतिफल है। सृजनशीलता बालक के भविष्य की संरचना करती है। ऐसा बालक जो वर्तमान परिस्थितियों में भविष्य का चिन्तन करता है तथा अपनी कार्यशैली में स्वयं की क्षमताओं का समुचित प्रयोग करता है, सृजनात्मक व्यवहार का प्रदर्शन करता है। वह सृजनशील कहलाता है। समस्या के समाधान करने में सृजनात्मक चिन्तन तथा बौद्धिक कौशल का विशेष योगदान है। सृजनात्मकता मौलिकता से सम्बन्धित है। वह व्यक्ति जो विपरीत तथा अप्रिय परिस्थितियों में निराश नहीं होता, अपितु उत्साहित मन से लक्ष्य प्राप्ति की ओर दृढ़तापूर्वक अग्रसर होता है, उसमें मौलिकता के सभी लक्षण विद्यमान होते हैं। सृजनात्मकता के धनी बालक एवं बालिकाएँ अपने चिन्तन तथा बौद्धिक शक्तियों के द्वारा दूसरे लोगों को शीघ्र प्रभावित कर लेते हैं। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने सृजनात्मकता के विचार को स्पष्ट करने के लिए इस प्रकार से परिभाषित किया है-
मेडनिक के अनुसार - "सृजनात्मक चिन्तन में साहचर्य के तत्त्वों का मिश्रण रहता है। जो विशिष्ट आवश्यकताओं को पूर्ण करते हैं अथवा किसी अन्य रूप में लाभप्रद होते हैं।"
स्टेन - "जब किसी क्रिया द्वारा नवीन सृजन होता है, जिसे किसी समूह द्वारा मान्यता प्राप्त होती है तो ऐसी क्रियाओं के नवीन सृजन को सृजनात्मकता कहते हैं।" .
डेन्डकर ने - सृजनात्मकता को एक गुण की संज्ञा दी है तथा कहा है कि इसके द्वारा व्यक्ति की किसी नवीन इच्छित वस्तु का सृजन किया जाता है।
आइजनेक - सृजनात्मकता को नवीन सम्बन्धों का ज्ञान मानता है तथा इसमें परम्परागत प्रतिमानों के स्थान पर असाधारण विचार विकसित होते हैं।
उपरोक्त परिभाषाओं को दृष्टिगत रखते हुए हम संक्षेप में यह कह सकते हैं कि-
1. सृजनात्मकता नवीनता एवं मौलिकता का मिश्रण है।
2. सृजनात्मक कार्यों से समाज लाभांन्वित होता है।
3. सृजनात्मक कार्य व्यक्ति की प्रतिभा के विकासाधार हैं।
4. सृजनात्मक लक्ष्य निर्धारण तथा उद्देश्य प्राप्ति की दिशा में क्षमताओं का प्रतीक है।
5. सृजनात्मकता, चिन्तन की एक विशेषता है, बुद्धि की नहीं।
6. सृजनात्मकता व्यक्ति का असाधारण गुण है जिसके द्वारा वह नई कृतियों का निर्माण करता है।
गिलफोर्ड ने - प्रकाश डालते हुए सृजनात्मकता में निम्न क्षमताओं का विद्यमान होना आवश्यक बताया है-
1. ऐसा छात्र अथवा व्यक्ति जो वर्तमान से असन्तुष्ट होकर भविष्य के विषय में चिन्तातुर है तथा अपने चिन्तन एवं कल्पनाओं को व्यवहारिक स्वरूप प्रदान करता है, उसमें सृजनात्मकता होती है।
2. सृजनकर्त्ता, समस्या की पुनर्व्यवस्था करता है।
3. ऐसा व्यक्ति अथवा छात्र जो अपने वातावरण के प्रति समायोजन कर लेता है, सृजनात्मक है।
4. ऐसा व्यक्ति अथवा छात्र जो तर्क, चिन्तन तथा प्रमाण द्वारा दूसरों के विचारों को प्रभावित करके, उनमें परिवर्तन लाता है, उसमें सृजनात्मकता पाई जाती है।
चिन्तन सृजन का मुख्य आधार है। विचारों में विभिन्नताएँ होती हैं। प्रत्येक चिन्तन में कोई न कोई लक्ष्य होता है। इन्हीं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु, व्यक्ति प्रयास करता है। प्रयास के उपरान्त प्राप्त लक्ष्य पूर्ति उसे सन्तुष्टि प्रदान करती है तो व्यक्ति अपने प्रयासों को निरन्तर जारी रखेगा जिससे सृजनात्मकता में वृद्धि होती है। सृजनात्मक चिन्तर के सोपान सृजनात्मक चिन्तन के अग्र सोपान हैं-
1. तैयारी - किसी कार्य को सम्पन्न करने हेतु किसी न किसी रूप में तैयारी आवश्यक होती है। अध्यापक शिक्षण करने से पूर्व विषय-वस्तु सम्बन्धी सूचनाएँ एकत्रित करते हैं - यही तैयारी है। •
2. गम्भीर चिन्तन - जब कोई साहित्यकार, कवि, कलाकार अथवा वैज्ञानिक किसी नवीन सृजन का लक्ष्य निर्धारित करता है, तो वह गम्भीर चिन्तन करता है। अपनी वैचारिक प्रतिभा को संगठित करता है। वैचारिक तथ्यों को उचित व्यवस्था देता है तथा लक्ष्य की दिशा के विषय में गम्भीर सोच में डूब जाता है। यह गम्भीर चिन्तन है जो व्यक्ति को नवीन सृजन की प्रेरणा से अभिभूत कर देता है।
3. अन्तर्दृष्टि का यकायक विस्फोट - गम्भीर चिन्तन करते-करते जब किसी व्यक्ति को अचानक समस्या समाधान का मार्ग सूझता है, उसे यकायक अन्तर्दृष्टि विस्फोट की संज्ञा दी जा सकती है।
4. अभिव्यक्ति - मस्तिष्क को चिन्तन के रूप में छू लेने वाले विचारों को लेखन का रूप देना अथवा मौखिक कथन अभिव्यक्ति कहलाता है। विचार प्रवाह जैसे-जैसे विकसित होता है, आवश्यकतानुसार उन्हें संशोधित करके, लेखक अथवा चिन्तक उसे शब्दों की मालाओं में गूँथकर, नवीन सृजन प्रदान करता है। ऐसा करने में उसे स्वयं सन्तुष्टि की अनुभूति होती है तथा नवीन सृजन अन्य लोगों को 'लाभान्वित करता है। यह प्रक्रिया वैचारिक अभिव्यक्ति कहलाती है।
शिक्षण को सृजनशील बनाने के उपाय - वर्तमान शैक्षिक तथा शिक्षण उद्देश्यों में सृजनशीलता का विकास शिक्षक का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है। नित्य नवीन सृजन, राष्ट्रीय विकास तथा उत्पादन का मार्ग प्रशस्त करता है। सृजनात्मकता राष्ट्रीय विकास की आधारशिला है। सृजनात्मक प्रतिभा सम्पन्न नागरिकों का निर्माण ही राष्ट्रीय निर्माण है। इसी दृष्टि से अध्यापक को राष्ट्रीय निर्माता कहा जाता है। शिक्षा में सृजनात्मकता आवश्यक तत्त्व है। इसलिए अध्यापक का यह उत्तरदायित्व है कि वह शिक्षण द्वारा बालकों में सृजनात्मकता विकसित करे। अध्यापक अपने छात्रों को निम्न प्रकार सृजनात्मक संरचना में सहायता प्रदान कर सकता है-
1. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के संचालन में समस्या के प्रत्येक पक्ष को ध्यान में रखकर गम्भीर चिन्तन किया जाना चाहिए।
2. अध्यापक को समस्या से जुड़े प्रश्नों की जानकारी आवश्यक हैं, जिससे छात्रों को अवगत कराया जा सके।
3. समस्या से सम्बन्धित सहायक तत्त्वों का संकलन छात्रों द्वारा कराया जाना चाहिए।
4. मौलिक तथ्यों पर आधारित नवीन ज्ञान को प्रस्तुत करने वाले छात्रों को शिक्षक द्वारा भली- भाँति प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
5. अध्यापक को यह प्रयास करना चाहिए कि छात्रों में मूल्यांकन की क्षमता विकसित कर सके।
6. छात्रों के समक्ष विभिन्न प्रकार की समस्याओं का प्रस्तुतिकरण करके, उन्हें इनके समाधान का पूर्ण अवसर प्रदान करना चाहिए।
7. छात्र के किसी एक क्षेत्र में असफल होने पर, उसे दूसरे क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
8. सृजनात्मकता में अधिक बुद्धि की आवश्यकता नहीं है। अतः अध्यापक को प्रत्येक छात्र में मौलिकता विकसित करके सृजनात्मकता हेतु प्रेरित करना चाहिए।
छात्रों में सृजनात्मकता विकसित करने के लिए निम्न तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए। सृजनात्मकता के विकास हेतु विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा सुझावों का प्रस्तुतीकरण किया गया है-
(अ) सूचनाओं का एकत्र करना - छात्रों के समक्ष विषय-वस्तु प्रस्तुत करके, तत्सम्बन्धी सूचनाएँ एकत्रित करने का निर्देशन दिया जाए। उदाहरणतया ऐतिहासिक तथ्यों को प्रमाणित करने हेतु विभिन्न प्रमाणों का एकत्रीकरण।
(ब) समस्या समाधान हेतु प्रोत्साहन - विद्यालय में अनेक समस्याएँ उत्पन्न होती रहती हैं, जैसे- छात्रों में अनुशासन की समस्या, सफाई आदि की व्यवस्था। शिक्षक छात्रों को इस बात के लिये प्रोत्साहित करता है कि विद्यालय समस्याओं के समाधान हेतु उनके क्या सुझाव हैं?
(स) समस्या सम्बन्धी परिणामों का विश्लेषण - अध्यापक छात्रों के समक्ष विभिन्न प्रकार की सामाजिक, राजनैतिक समस्याओं को प्रस्तुत करे तथा उनका विश्लेषण करने के उपरान्त उनके विचार जानने चाहिए। जैसे- जातीयता एवं धर्मान्धता राष्ट्रीय एकीकरण पर क्या प्रभाव डालती हैं? इस समस्या को सुलझाने हेतु छात्रों के विचार व्यक्त कराए जाने चाहिए और उन विचारों का गम्भीर विश्लेषण भी करना चाहिए। ऐसा करने से उनमें सृजनात्मकता विकसित होगी।
(द) आँकड़ों का वर्गीकरण एवं अन्वेषण - छात्रों के समक्ष विभिन्न क्षेत्रों से आँकड़ें एकत्रित कराएँ, जैसे- जनसंख्यात्मक एवं शिक्षा सम्बन्धी, ग्रामीण अंचलों तथा नगरीय क्षेत्रों से विभिन्न रूपों में आँकड़ें एकत्रित करना तथा उनका विश्लेषण करके किसी निष्कर्ष पर पहुँचकर सुझाव प्रस्तुत करना। इससे सृजनशीलता में वृद्धि होगी।
वास्तव में जो बालक सृजनशील होते हैं, उनमें मौलिकता का गुण विद्यमान रहता है। ऐसे बालकों में प्रतिभा होती है, लगन होती है तथा वे अपने विकास पथ को खोज लेने की क्षमता रखते हैं। ऐसे छात्र अपने भावी जीवन में वैज्ञानिक, साहित्यकार, कुशल कारीगर, प्राध्यापक, अभियन्ता अथवा डॉक्टर बनते हैं।
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- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
- प्रश्न- वृद्धि और विकास से आपका क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि और विकास को परिभाषित करें तथा वृद्धि एवं विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विकास से आपका क्या अभिप्राय है? बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन- कौन-सी हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन के महत्त्व को समझाइये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान एवं अधिगमकर्त्ता के सम्बन्ध की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- वृद्धि का अर्थ एवं प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृद्धि तथा विकास से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकास का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि तथा विकास के नियमों का शिक्षा में महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सम्बन्ध में विकास की अवधारणा क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- विकास के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिवृद्धि एवं विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास में वंशानुक्रम का क्या योगदान है?
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है? इसकी प्रमुख विशेषतायें बताइये। इस अवस्था में शिक्षा किस प्रकार की होनी चाहिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिये?
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है? बाल्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल्यावस्था में शिक्षा का स्वरूप कैसा होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'बाल्यावस्था के विकासात्मक कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के विकास के सिद्धान्त की. विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था में शिक्षा के स्वरूप की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- जीन पियाजे के विकास की अवस्थाओं के सिद्धांत को समझाइये |
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक मनोविज्ञान एवं मानव विकास)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (मानव वृद्धि एवं विकास )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (व्यक्तिगत भिन्नता )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैशवावस्था, बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था )
- प्रश्न- सीखने की संकल्पना को समझाइए। 'सूझ' सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- अधिगम की प्रकृति को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सूझ सीखने में किस प्रकार सहायता करती है?
- प्रश्न- 'प्रयत्न एवं त्रुटि' तथा 'सूझ' द्वारा सीखने में भेद कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के प्रयोग का उल्लेख कीजिए और बताइये कि इस प्रयोग द्वारा निकाले गये निष्कर्ष, शिक्षण कार्य को कहाँ तक सहायता पहुँचाते हैं?
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थार्नडाइक के सीखने के सिद्धान्त का शिक्षा में उपयोग बताइये।
- प्रश्न- शिक्षण में प्रयत्न तथा भूल द्वारा सीखने के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
- प्रश्न- अनुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर का सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त क्या है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्बलन का क्या अर्थ है? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पुनर्बलन की सारणियाँ वर्गीकृत कीजिए।
- प्रश्न- सक्रिय अनुकूलित-अनुक्रिया. सिद्धान्त अथवा पुर्नबलन का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के गेस्टाल्ट सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए और इस सिद्धान्त के सबल तथा दुर्बल पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समग्राकृति पूर्णकारवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- कोहलर के प्रयोग की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि तथा सूझ के सिद्धान्त से सीखने की क्या विशेषताएँ हैं।
- प्रश्न- पूर्णकारवाद के नियम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि को प्रभावित करने वाले कारक एवं शिक्षा में प्रयोग बताइये।'
- प्रश्न- अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रॉबर्ट मिल्स गेग्ने का जीवन-परिचय दीजिए तथा इनके द्वारा बताये गये सिद्धान्त का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गेग्ने के योगदान को संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- आवश्यकता चालन एवं उद्दीपन के सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कक्षा शिक्षण में पुरस्कार या प्रोत्साहन की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण से क्या तात्पर्य है? अधिगम स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अभिप्रेरणा )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (अधिगम का स्थानान्तरण )
- प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये।
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- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
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